ॐ गुरुवे नमः !! 

माँ धूमावती साधना का आठवां दिन था, मैं सुबह की पूजा की तैयारी कर रहा था और उतने में कौवों की आवाज सुनाई दी और बाहर निकल कर देखा…दो कौवे बैठकर आवाज दे रहे हैं । गुरु देव मैं अन्य साधकों से सुनता था कि,इस साधना के दौरान कौवों के दर्शन हुए लेकिन मुझे साक्षात नहीं हुए थे … मन मे हमेशा ग्लानि सी रहती थी,कि माता कम से कम आपके वाहन के दर्शन इस साधना के दौरान हो जाए…बस एक बार माता । और माँ ने अपने वाहन का दर्शन मुझे अष्टमी के दिन करा ही दिया । मन खुश था और सुबह की पूजा भी निर्विघ्न संपन्न हुई । रात्रि कालीन साधना के नियमानुसार पूजन आदि करके… माता धूमावती का आह्वाहन मंत्र किया । तत्पश्चात गुरु और ईष्ट के मंत्रों की एक-एक माला पूर्ण किया ।उसके बाद माता धूमावती के मंत्र की प्रथम माला पूर्ण करने के बाद जब द्वितीय माला शुरू किया तो बहुत सारे कौवे दिखाई देने लगे और उनकी काँव-काँव की आवाजे सुनाई दे रही थी । 

प्रथम मंत्रजाप पूर्ण हो गया । माता धूमावती के अगले मंत्र का जाप शुरु किया तब कुछ देर कुछ नहीं दिखा लेकिन थोड़े समय बाद “एक वृद्ध महिला है जो आसमान की ओर देखती हैं और किसी से कुछ कहती हैं और नीचे जमीन पर कुछ फेंकती हैं….मैं समझ नहीं पा रहा था…ये क्या था…हाथ और पैर मेरे सुन्न थे मन में डर समाया था और हाथो के रोयें भी खडे हो गए थे ।उसके बाद जाप पूर्ण हुआ । जब आरती किया शुरू तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे माता धूमावती सामने ही बैंठी हैं ।  गुरु के चरणों की धूल माथे पर लगाऊं, बारंबार उन चरणों का वंदन करुं, उन्हीं चरणों पर शीष नवाऊं, “गुरु की महिमा क्या कहूं मैं,…न बखाना जाये….पत्थर मे भी जान फूंक दे,….जीवन का रहस्य गुरु समझाये । ॐ गुरु देवाये नमः ।