गुरु जी प्रणाम……!!  मुझे हमेशा एक ही चिंता रहती थी कि,मुझे कभी साधना के दौरान किसी प्रकार का अनुभव नहीं हुआ जिसके संबंध में मैंने आप से बात भी की थी,परंतु आप के आशीर्वाद से माँ तारा की साधना में मुझे दो बार अनुभव हुए…..(प्रथम) पहले दिन जब मै साधना कर रहा था तो दो-तीन बार ….ऐसा सुनाई दिया, जैसे कोई पायल पहन कर चल रहा है और एक दो बार तो पीठ पर स्पर्श अनुभव हुआ, जैसे कोई हांथ फ़ेर रहा हो इस दौरान मेरा ध्यान भी भंग हुआ, दीपक जल रहा था तो पूजा के कमरे का पंखा बंद किया था क्योंकि गर्मी बहुत लग रही थी परन्तु बीच-बीच में किसी अदृश्य शक्ति द्वारा पंखा झलने का भी एहसास हुआ परंतु मन का वहम समझ कर मैंने ध्यान नहीं दिया…. पुनः (द्वितीय) अंतिम दिन की साधना के दौरान जब मै आखिरी माला का जप कर रहा था तो मैंने माँ से विनती किया कि, यदि मै सही साधना कर रहा हूँ और मुझसे साधना के दौरान कोई गलती ना हुई हो तो और यदि मै इस योग्य हूँ तो कृपया आप प्रत्यक्ष दर्शन देने की कृपा करें या फिर आप का मेरे निकट होने का एहसास कराएँ जैसे बाकी साधकों को होता है और यदि पूर्व जन्म की कोई परेशानी हो तो उसे भी दूर करने का कष्ट करें… मेरा दाहिना पैर बायीं जांघ पर था और बायें हाथ से पैर के तलुए को पकडा था मुशिकल से एक मिनट गुजरा होगा मेरे दाहिने पैर के तलुए में जो कि हाथ से दबा था और दोनों के बीच में जगह भी नहीं थी अचानक जैसे किसी ने जोर से गुदगुदी कर दी, मैं आसन से चौंक कर हिल गया परंतु डर का एहसास नहीं हुआ बल्कि गुदगुदाने के कारण हंसी छूट गई, और आंख भी खुल गई देखा तो सिर्फ माला में एक ही मनका और सुमेरु बचे थे जप के लिए जप पूर्ण कर के माँ को प्रणाम किया और इस अनुभव के लिए धन्यावाद बोला…!!

फिर मैं रात भर सोचता रहा कि आप जैसे गुरु मेरे जीवन में नहीं होते तो शायद मुझे ये अनुभव कभी नहीं मिल पाता,….गुरु जी आप को कोटि कोटि आभार… आप का आशीर्वाद और मार्गदर्शन हम सभी साधकों को हमेशा मिलता रहे और हम सब साधना पथ पर उत्तरोत्तर आगे बढ़ते रहे, धन्यवाद व आभार के लिए शब्द नहीं मिल पा रहा है….!!