“यात्रा प्रकल्प”

हमारा यह मानव जीवन भी एक यात्रा ही है, किन्तु साधना मार्ग पर अग्रसर एक साधक की यात्रा का तो कुछ विशेष ही अर्थ होता है । गुरुदेव आचार्य ओजस्वी जी द्वारा विशेषकर संस्था से जुड़े साधकों के लिए “यात्रा प्रकल्प” का शुभारंभ किया गया । इस प्रकल्प ने “यात्रा” शब्द को नए आयाम दिए, और अप्रतिम ख्याति अर्जित की ।

VYASS की अनुषांगिक इकाई “यात्रा प्रकल्प” एक विचित्र प्रकल्प है, जिसके अंतर्गत समय-समय पर एकल अथवा सामूहिक शोधपूर्ण यात्राएं की जाती हैं….जिनका उद्देश्य प्राच्य विद्याओं का प्रचार-प्रसार, विद्वानों से परिचय, साधकों से संपर्क, संत-महात्माओं से भेंट, सिद्धों का सान्निध्य, तीर्थाटन-देवदर्शन, दुर्गम स्थलों में प्रवास एवं साधनाएं, पवित्र नदियों के तट पर यज्ञ-अनुष्ठान, प्राकृतिक वातावरण में प्रयोगात्मक शिविर एवं व्यावहारिक शिक्षा होता है । कहते हैं “Nature brings us closer to God”….(प्रकृति हमें ईश्वर के निकट लाती है) इस अवधारणा को वास्तविकता में अनुभव करने का प्रयास “यात्रा प्रकल्प” के माध्यम से समय-समय पर किया जाता है ।

“रहस्य यात्रा” — यात्रा प्रकल्प के अंतर्गत आयोजित “रहस्य यात्रा” एक ऐसी अद्भुत यात्रा है, जिसकी परिकल्पना गुरुदेव द्वारा वर्षों पूर्व की गई थी, जिसे इस प्रकल्प के माध्यम से मूर्तरूप प्रदान किया गया । इस विशेष यात्रा में केवल संस्था से जुड़े साधकों को ही सम्मिलित किया जाता है । सात दिवसीय “रहस्य यात्रा” के नियम बहुत विचित्र होते हैं, इसकी केवल तिथि घोषित की जाती है, गंतव्य और यात्रामार्ग की कोई जानकारी नहीं दी जाती । धन का प्रयोग वर्जित होता है, और मोबाइल फोन पर प्रतिबंध होता है । भोजन और ठहरने की व्यवस्था भी पूर्व निर्धारित नहीं होती । इतना ही नहीं, इसमें प्रतिदिन कुछ task दिए जाते हैं, जिनके असामान्य और अनोखे नियमों का पालन अनिवार्य होता है ।

“राष्ट्रीय कीर्तिमान” — “यात्रा प्रकल्प” द्वारा जून-2019 में आयोजित की गई “रहस्य यात्रा -2019 को इस प्रकार की “प्रथम अद्भुत यात्रा” के रूप में मान्यता प्रदान करते हुए, Global Records Research Foundation द्वारा “राष्ट्रीय कीर्तिमान” हेतु चयनित किया गया और गुरुवर आचार्य ओजस्वी जी के नेतृत्व में, इस यात्रा में सहभागिता करने वाले यात्री साधकों को रविवार 15 दिसंबर 2019 को दिल्ली में GRRF के प्रतिनिधि श्री मनमोहन रावत जी एवं उनके सहयोगी द्वारा सम्मानित किया गया, और
“कीर्तिमान स्मृति चिन्ह”, “सम्मान पदक” एवं 12 यात्रियों को राष्ट्रीय कीर्तिमान का “प्रमाण पत्र” भेंट किया गया ।