“सेवा प्रकल्प”
हमारी संस्कृति में प्राणी मात्र की सेवा का महत्वपूर्ण स्थान है, हम प्रत्येक आत्मा में परमात्मा के दर्शन करते हैं । हिन्दू दर्शन में सेवा के बिना धर्म पालन का कोई अर्थ नहीं, क्योंकि यह एक ईश्वरीय भाव है, जो धर्म का ही अंग है । सेवा आत्मकल्याण का मार्ग है, जो सेवाभावी व्यक्ति के भीतर आत्मिक सुख और संतोष का संचार करता है । संस्था के मौलिक उद्देश्यों में अध्यात्मिक उन्नति के साथ सेवा को प्रमुखता दी गई है, और “वैदिक योग अध्यात्म सेवा संस्थान®” के नाम में भी ‘सेवा’ को स्थान दिया गया है ।
“सेवा प्रकल्प” द्वारा निरंतर विभिन्न सेवाकार्य किए जाते हैं, और उत्तरोत्तर इन सेवा कार्यों का क्षेत्र विस्तृत किया जा रहा है । इसमें मानव सेवा, प्राणी सेवा, पर्यावरण सेवा प्रमुख हैं । इस प्रकल्प के माध्यम से किए गए विशेष रूप से उल्लेखनीय निःशुल्क सेवाकार्य हैं… भोजन वितरण, आवश्यक सामग्री वितरण, वस्त्र वितरण, धार्मिक पुस्तकों का वितरण, गौमाता की सेवा, पक्षियों की सेवा इत्यादि ।
“कोरोना काल” (Covid -19 pandemic) — “कोरोना काल” में “सेवा प्रकल्प” द्वारा विभिन्न माध्यमों से सेवा कार्य किए गए… “पी.एम.केयर्स फण्ड” में सेवा राशि, फेस मास्क का वितरण, सेवा बस्तियों में भोजन, फल एवं आवश्यक सामग्री वितरण, जागरूकता अभियान, इत्यादि ।
“वार्षिक वृक्षारोपण अभियान” — पर्यावरण की रक्षा हेतु, प्रतिवर्ष जुलाई से सितम्बर माह के मध्य “वृक्षारोपण प्रोत्साहन अभियान” चलाया जाता है, जिसके माध्यम से अबतक हज़ारों पीपल ,बरगद, नीम जैसे उपयोगी और विभिन्न फलदार वृक्षों का रोपण भारत और विदेश में किया गया ।
प्रकल्प द्वारा इन सेवाकार्यों को अधिक विस्तार देने की दिशा में अथक प्रयास किए जा रहे हैं, और संस्था के सभी सेवाभावी सदस्यगण इसके लिए कृतसंकल्प हैं । हमारी मान्यता है कि, निःस्वार्थ सेवा से लोक और परलोक दोनों सफल होते हैं ।